2 मार्च 2011

इस उपन्यास को आप खा सकते हैं

          आज कवयित्री व उपन्यास लेखिका पुष्पा तिवारी का जन्मदिन है       

उस दिन सुबह सुबह पुष्पा दीदी का फ़ोन आया … “ शरद शाम को आना है , मेरे उपन्यास ‘ राधेबाबू आनेवाले हैं ‘ का विमोचन है । “ मैंने पूछा … “ कौन आनेवाले हैं ?” 
उन्होंने कहा …” राधेबाबू आनेवाले हैं “ । मैंने फ़िर कहा … “ नहीं दीदी विमोचन करने कौन आनेवाले हैं ? “ दीदी ने ज़ोरदार ठहाका लगाया …” ऐसा कहो ना । अरे कौन आयेगा… विनोद जी आ जाएँगे और बस यहीं के लोग … छोटा सा आयोजन है । “ मैंने कहा … वाह , श्री विनोद कुमार शुक्ल जैसे बड़े कवि और उपन्यासकार आ रहे हैं तो फ़िर और किसकी आवश्यकता है ? कार्यक्रम ज़ोरदार रहेगा इसमें कोई शक नहीं । “ “ अरे तुम आओ तो …” दीदी ने कहा ।
शाम को दीदी के घर पहुंचा तो काफ़ी भीड़भाड़ थी । शहर के तमाम साहित्यकार आए हुए थे , विमोचन हुआ , खाना- पीना हुआ ।समारोह में उपन्यास के अलावा विशेष आकर्षण की वस्तु थी ,केक पर आइसिंग से बनाया हुआ उपन्यास का एक चित्र.। हमने  दीदी की कवितायें भी सुनी …हां यह बता दूँ कि पुष्पा तिवारी मूलत: कवयित्री हैं और उनका एक कविता संग्रह ‘ बिन आहट ‘ आ चुका है । जी हाँ ‘ बिन आहट ‘ यह कविता संग्रह का ही नाम है और यह इसलिये कि पुष्पा दीदी का साहित्य जगत में प्रवेश भी बिन आहट ही हुआ है । इसीलिये इस कविता संग्रह के ब्लर्ब में उनके पति ,लेखक और कानूनविद श्री कनक तिवारी ने अपनी टिप्पणी में लिखा है…”बिन आहट एक कवयित्री ने कविता संसार में कदम रखें हैं । बत्तीस वर्षों के साथ में मैंने कभी यह सोचा भी नहीं था कि पुष्पा में कोई कवि है जिसे तलाशने की भी ज़रूरत होगी । कविता का सहसा जन्मना नदी के उद्गम से निकलने की तरह एक आन्तरिक फ़ेनोमेना है । “
  मुझे लगा उनसे पूछूँ … आपने यह भी नहीं सोचा होगा कि पुष्पा दीदी के भीतर कोई उपन्यासकार भी छुपा है ? “ खैर तब तक पता तो हम लोगों को भी नहीं था कि इतनी अच्छी कवयित्री के साथ साथ वे एक उपन्यासकार भी हैं । वैसे अब तक इस उपन्यास के अलावा उनका एक उपन्यास ‘ नरसू की टुकुन कथा ‘ और आ चुका है और एक कविता संग्रह । कबीर पर एक वैचरिक ग्रंथ के सम्पादन के साथ साथ दुर्ग-भिलाई की बीस कवयित्रियों के कविता संग्रह का सम्पादन भी उनके खाते में है ।
           बहरहाल आज दो मार्च है और कानपुर में जन्मी पुष्पा तिवारी का आज जन्मदिन है । केक का यह चित्र उपन्यास के विमोचन के अवसर का है और इस पर जो चित्र बनाया गया है वह उपन्यास का मुखपृष्ठ है  । …तो आप लोग  केक खाइये , उपन्यास पढिये और पुष्पा तिवारी को जन्म दिन की बधाई दीजिये ।    - आपका शरद कोकास
आईये पड़ोस को अपना विश्व बनायें

9 टिप्‍पणियां:

  1. पुष्पा तिवारी जी को जन्म दिवस और विमोचन की बधाई और शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  2. यह बहुत ही खूबसूरत तोहफा है! पुष्पा जी को ढेरों बढ़ियाँ!

    जवाब देंहटाएं
  3. पुष्पा तिवारी जी को जन्मदिन की असीम शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  4. साहित्‍य क्षितिज पर पुष्‍पा तिवारी जी का अहम स्‍थान है, उन्‍हें जन्‍मदिन की शुभकमनांए.

    जवाब देंहटाएं
  5. पुष्पा तिवारी जी को जन्म दिन की और विमोचन की बधाई और शुभकामनाएँ.

    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  6. Janam din aur pustak vimochan dono ke liye haardik badhayi!

    जवाब देंहटाएं
  7. पुश्पा तिवारी जी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें। आपको भी वैवखिक वर्षगाँठ पर बहुत बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. पुष्पा तिवारी जी को बधाई उनके जन्मदिन के लिए और आपको उसकी इतनी रोचक प्रस्तुति के लिए।

    जवाब देंहटाएं

आइये पड़ोस को अपना विश्व बनायें