8 मई 2010

रिश्ते में तो समीर लाल मेरे मामा लगते हैं ..


                    

विगत चार मई को मुम्बई से छोटे भाई आशीष की पत्नी श्वेता का एस एम एस आया “ भैया आज CHANGE RELATION DAY “ है अगर एक दिन के लिये रिलेशन चेंज हो जाये तो आप मेरे साथ क्या रिश्ता बनाना चाहेंगे ? “ मैने पहली बार सुना कि ऐसा भी कोई दिन होता है । फिर मैं इस बात पर हँसा कि यह दिन बनाने वालों ने हर दिन को एक विशेष दिन बना दिया है पिता दिवस ,माता दिवस , चिकित्सक दिवस , शिक्षक दिवस , स्वास्थ्य दिवस . पर्यावरण दिवस , पृथ्वी दिवस ,कुष्ठ दिवस , साक्षरता दिवस वगैरह वगैरह ।  लगता है कि कुछ दिनो बाद साधारण दिन कोई बचेगा ही नहीं  और ग़लती से एकाध दिन बच गया तो उस दिन भी लोग इस बात के लिये भी एस एम एस करेंगे कि बधाई हो आज निहायत साधारण दिन है  । जो भी हो मोबाइल कम्पनी वालों का तो धन्धा हो ही जायेगा ।
बहरहाल मुझे एस एम एस का जवाब तो देना ही था सो मैने लिखा “ मैं तुम्हे आज के दिन अपनी माँ बनाना चाहूंगा । इसलिये कि इससे बड़ा और कौनसा रिश्ता हो सकता है ।“ इस अद्भुत दिन के बारे में सोचते हुए मुझे ख्याल आया कि हम भारतीय कितने सौभाग्यशाली हैं जो एक दूसरे के साथ इतने पारिवारिक रिश्तों में बन्धे हैं । फिर मुझे अपने ब्लॉगजगत का ख्याल आया , यह भी तो हम लोगों का एक बड़ा परिवार है । फिर यह ख्याल आया कि मानलो अगर ब्लॉग जगत के अपने मित्रों से यह एस एम एस मुझे आता तो मैं उसका क्या जवाब देता । बस दिमाग में एक एक कर नाम आने लगे और मैं उनके साथ अपने रिश्ते जोड़ने लगा ।
सबसे पहले दिनेशराय द्विवेदी जी का ख्याल आया । वे अगर मुझसे पूछते कि एक दिन के लिये आप मुझे अपना क्या बनाना चाहेंगे तो मैं कहता “ फूफाजी “ । ब्लॉग जगत में सबसे अधिक रिश्तों को सम्बोधन से जोड़ने वाले  महफूज़ अली को मैं चाचाजी बना लेता  । चौंकिये मत , यहाँ उम्र का सवाल नहीं है सवाल रिश्ते का है । वैसे भी मेरे पास अपने खानदान की नौ पीढ़ीयों के चार सौ लोगों की लिस्ट है और जिसमें मेरे कई चाचा उम्र में मुझसे बहुत छोटे है और कुछ  को तो मैने देखा भी नहीं है । अभी पिछले दिनों एक विवाह समारोह में मैने एक बच्ची से पूछा “ किसकी शादी में आई हो ? “तो उसने कहा “अपनी नानी की “ ।
फिर हमारे यहाँ यह भी होता है कि शादी के बाद ढेर सारे नये रिश्तेदार बन जाते हैं जिनमे कईयों का पता तो बरसों बाद चलता है । किस्सा है ना कि पति ने गधों के झुन्ड की ओर इशारा कर पत्नी से कहा “ देखो, तुम्हारे रिश्तेदार ।“ पत्नी ने कहा “ हाँ , सब शादी के बाद के हैं । “  अब अपने गिरीश बिल्लोरे जी को ही ले लो , साले के मित्र हैं तो पहली मुलाकात में ही जिस तत्परता के साथ जीजाश्री का उच्चारण किया कि मुझे अपने पर्स में से नोट खिसकते दिखाई दे गये । सो जबलपुर वाले सभी ब्लॉगर्स के साथ तो अब यही रिश्ता बनता है । लेकिन नहीं .. जबलपुर में मेरी ननिहाल भी है सो कुछ रिश्ते तो वहाँ के भी बनेंगे ,सो इस रिश्ते से श्री समीर लाल मेरे मामा हुए और महेन्द्र मिश्र जी भी ।अजित वडनेरकर जी के घर अपने साढ़ूभाई के साथ गया था सो वे भी साढ़ूभाई हुए । यही रिश्ता गिरिजेश राव के साथ  भी बनता है  । अजय कुमार झा को मै फुफेरा भाई कहता और अशोक कुमार पाण्डे को मौसेरा भाई । डॉ.अनुराग ,गौतम राजरिषी का कज़िन होना मैं पसन्द करता । ज्ञानदत्त पाण्डेय जी के लिये मामा के रिश्ते का खयाल इसलिये आया कि मेरे एक मामा का नाम भी यही है और रूपचन्द शास्त्री जी का मैं भतीजा बनना पसन्द करता ।रावेन्द्र कुमार रवि का चचेरा भाई और  खुशदीप का मैं मामा बन जाता और राजीव तनेजा का फूफा । मिथिलेश दुबे का मैं दादा बनना पसन्द करता और दीपक मशाल का नाना । ज़ाकिर अली रजनीश को मैं मामू बना लेता । अमिताभ श्रीवास्तव मेरा चचेरा भाई होता । अरविन्द मिश्रा जी मेरे चाचा होते और कानपुर के होने के नाते अनूप शुक्ल जी मेरे मामा । अविनाश वाचस्पति का मैं बड़ा भाई बन जाता । ओम आर्य  मेरा भांजा होता और कुलवंत हैप्पी को मेरे बच्चे मामा कह कर हैप्पी होते । डॉ. दराल मुझे अपने मामा ससुर जैसे लगते ।        
छत्तीसगढ़ तो अपना घर है इसलिये यहाँ के ब्लॉगर्स तो अपने भाई हुए लेकिन भाई तो सब पहले से ही है रिलेशन चेंज करने का मज़ा तो तब है जब इनसे अलग अलग रिश्ते बनाये जायें सो पाबला जी को मैने चाचा बना लिया और संजीव तिवारी को भतीजा ।  सूर्यकांत गुप्ता तो खैर साढ़ूभाई हैं  ललित शर्मा , राजकुमार सोनी, राजकुमार ग्वालानी , गगन शर्मा ,गिरीश पंकज ,अरविन्द झा ,संजीत त्रिपाठी, बालकृष्ण अय्यर , अनिल पुसदकर भी साढ़ू भाई हुए । सॉरी सॉरी.. अनिल पुसदकर नहीं ,सब गड़बड़ हो जायेगा उन्हे फिलहाल चचेरा भाई रहने दिया जाये । वैसे अगर उन्हे साढ़ूभाई बनना है तो अभी भी देर नहीं हुई है । हम सब मिलकर दुआ करें कि अगले चेंज रिलेशन डे तक यह शुभकार्य संपन्न हो जाये । बचे अवधिया जी उन्हे  मैं मौसाजी बनाना चाहूंगा ।अलबेला खत्री को मैं चाचा ससुर बनाता ।सिद्धेश्वर सिंह जी की छत्तीसगढ़ मे ससुराल है सो वे रिश्ते में अपने जीजा हुए ।
अब कुछ ब्लॉगर बहनों की बात भी हो जाये । अगर उनकी तरफ से यह सवाल आता तो... ? बहुत सारे रिश्ते मन में उमड़-घुमड़ रहे हैं । सबसे पहले मुम्बई में अनिता जी , उन्हे मैं मौसी बना लेता । रश्मि जी का जेठ बनना मुझे अच्छा लगता । घुघूति बासूती जी को पता नहीं क्यों मामी कहने का मन हो रहा है और निर्मला कपिला जी को चाची । आशा जोगलेकर जी को मैं बुआ कहता और वन्दना अवस्थी दुबे का देवर बन जाता । लवली कुमारी , कविता रावत , पूजा,पल्लवी,रंजना ,गार्गी ,मुक्ति, ये सब बेटियाँ और बबली  का चाचा बन जाता और पारुल का मामा । मेरी छोटी बहन का नाम सीमा है सो सीमा गुप्ता भी छोटी बहन हुई । रश्मिप्रभा जी का मैं बड़ा भाई बनता , अदा जी मेरी बड़ी बहन होतीं । अल्पना जी मौसी ,हरकीरत हीर , ज्योति सिंह छोटी बहन । शेफाली पाण्डे के मौसाजी श्री मधुकर जोशी का मैं मित्र हूँ सो इस रिश्ते से उनका भी मौसा हुआ । शोभना चौधरी और मीनू खरे का मैं चाचा कहलाना पसन्द करता और मनीषा पाण्डे का मामा । रचना दीक्षित का मै फूफा बनता ।
बाप रे बाप ... कितने ही नाम और याद आ रहे हैं और यह सूची तो बढ़ती ही जा रही है । इसे यहीं विराम दिया जाये वरना नाइस अंकल नाराज हो जायेंगे । सो मैं चलता हूँ आप मेरी इस व्यंग्यकथा को पढ़ते रहिये और इन गड्डमड्ड रिश्तों के संसार से सार निकालते रहिये । वैसे सच कहूँ इन रिश्तों के बारे में  सोचने में अच्छा लगा .. । फर्ज़ कीजिये अगर यही सवाल मैं आपसे करता तो आप क्या उत्तर देते ? चलते चलते ताऊ को भी याद कर लें .. वे तो ताऊ हैं सो मै उनका भी भतीजा हुआ ना । अंत में...आपके जीवन में अस्तित्व में आ चुके सभी रिश्ते फले फूलें और आप ताउम्र उनका निर्वाह कर सकें इस दुआ के साथ , आपका एक दिन के रिश्ते का भाई,भतीजा,भांजा ,चाचा,मामा, ताऊ.साला. जीजा, इत्यादि  --  शरद कोकास               
आईये पड़ोस को अपना विश्व बनायें

54 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर सुंदर रिश्ते जी सभी को बहुत बहुत बधाई जी

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  2. कितने आजीब रिश्ते है यहाँ के .................

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  3. ये लो कल्लो बात........इतने सारे मामा, चाचा, भतीजे, भांजे आदि इत्यादि बना लिए गये और हमको...........हमको.......मतलब लिस्ट में हमारा नाम ही नहीं हैं.......

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  4. कल फिर आते हैं, कमेन्ट पढ़ने.. :)

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  5. मैं तो आपको आज से व्यंग्य का गुरु मानता हूँ और और आपके साथ चेले का रिश्ता बनाता हूँ!

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  6. चलो एक फ्री की भविष्यवाणी.......हम घोषित करते हैं की ये पोस्ट कल पूरा दिन ब्लोगवाणी पर टॉप पर रहेगी

    साथ में एक और फ्री भविष्यवाणी........और ये पोस्ट इस ब्लॉग की सबसे ज्यादा टिप्पणी पाने वाली पोस्ट होगी

    साथ में एक और फ्री.......सभी पागल हो जायेंगे पढ़ कर..............

    और कोई करू क्या फ्री में............

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  7. @यशवंत मेहता "फकीरा " - भाई नाराज़ मत हो ,तुम तो मेरे चाचा के मौसेरे भाई की सास के बड़े बेटे की फुफेरी बहन के जेठ के बेटे हो .. अभी तो मै इस गणित को सुलझाने मे ही लगा था और पोस्ट करने की जल्दी थी इसलिये नाम छूट गया , और कोई बात नहीं ऐसे ही कुछ और मित्र भी नारज़ हो रहे हैं । अब हमारे मामा ससुर राज भाटिया जी को ही देख लो ..कितने अच्छे आदमी हैं पहली टिप्पणी भी की और नाराज़ भी नहीं हुए । खैर भविष्यवाणी के लिये धन्यवाद ..।

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  8. वाह, मुझे हिंट मिल गया हैं आपके दिल में मेरे नाम के होने का

    आप चिंता मत करो मैं नाराज बिलकुल नहीं

    हाँ आप अपने हो गये हो इसलिए एक महत्तवपूर्ण बात बता देता हूँ

    मेरे अजीज के कहने पर तक्खलुस "फकीरा" से बदल कर "यश" कर लिया हैं

    देखिये आपको बता रहा हूँ सबसे पहले........अभी तो मम्मी को भी नहीं बताया

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  10. thanks for a nice post Nana ji.. abhi nashe me hoon subah milta hoon... :)

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  11. हमें आपने कुछ नहीं बनाया ..चलिए हम ही आपको गुरु बना लेते हैं :)

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  12. @शिखा जी , अभी यह सिलसिला खत्म कहाँ हुआ है .. अभी तो आपसे रिश्तों का सूत्र ढूंढ ही रहा हूँ ।

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  13. रिश्ता एक सूत्र है कच्चे धागे का पर अगर स्नेह का, प्यार का, स्वीकार का, अधिकार का --- का लेप इस धागे पर चढ़ा दिया जाये तो यह अटूट हो जाता है.
    मुबारक हो यह रिश्तेदारी
    रिश्ते कायम रहें

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  14. बेशक ...."टॉप की पोस्ट"...कितने बढ़िया तरीके से नामों और रिश्तों को पिरोया है ...लाजवाब ...खासकर "समीर जी" को मामा ..

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  15. वाह भांजे, बड़े लम्बे तार जुड़े है रिश्तेदारी में. :)

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  16. बढ़िया पोस्ट है जी, मजा आ गया।
    महफ़ूज़ से एक बार आपके बारे में बात हुई थी, पता चला कि आप बैंक में सर्विस करते रहे हैं कभी, आईये हम स्टाफ़ के रिश्ते में बंध जाते हैं।

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  17. शरद भाई,
    अब साइड बिज़नेस खोल ही लो...रिश्ते ही रिश्ते...एक बार मिल तो लो...

    वैसे रिश्तों की ये महिमा भी देखिए..

    ललित शर्मा भाई एक दिन सुबह छैल छबीले बने मॉर्निंग वॉक के लिए निकले...पार्क के पास पैर फिसला और धड़ाम से जा गिरे वहां खड़े एक गधे महाराज के पैरों के पास...तभी वहां खड़ी एक अल्ट्रामॉड युवती खिलखिला कर हंसी और ललित भाई की फिरकी लेते हुए बोली...क्यों सुबह-सुबह भाई के चरण स्पर्श कर रहे हो...ललित भाई ठहरे ललित भाई...कपड़े झाड़ते हुए उठे और बोले...जी, भाभी जी....

    जय हिंद...

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  18. याने हर जबलपुर वाले को मामू कहना शुरू कर दिया जाए।

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  19. बड़े गड्ड-मड्ड रिश्ते हैं भाई! हमारा तो दिमाग ही घूम गया।

    एक बार बेताल पच्चीसी की पचीसवीं कहानी पढ़कर रिश्तों की उलझन के कारण हमारा दिमाग घूमा था (अरे हम किस खेत की मूली हैं उस कथा ने तो विक्रम के दिमाग को भी घुमा दिया था) और आज दूसरी बार शरद जी ने दिमाग घुमा दिया है।

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  20. शरद भाऊ आभारी हूं इतने सारे रिश्तेदार फ़्री मे देने के लिये,आपके भाई है सो उनसे जो रिश्ते आपके हैं वही अपने भी हैं।

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  21. Is dinka pata to mujhe bhi nahi tha...wah! Itne saare chakachak rishtedar mil gaye aapko..badhyi,badhayi!

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  22. ब्लाग परिवार जिंदाबाद

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  23. बाप रे बाप ... कितने ही नाम और याद आ रहे हैं और यह सूची तो बढ़ती ही जा रही है । इसे यहीं विराम दिया जाये वरना ....
    abhi to aur bhi n jaane kitne milengi....
    Ek manch par bahut se naate-rishdedaron se milna bahut achha laga....
    Sarthak prastuti ke liye dhanyavaad.

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  24. भारतीय सांस्‍कृतिक परंपराओं में रिश्‍ते का अहम स्‍थान है, रिश्‍ते के पीछे का अपनापन का मजा ही कुछ और है जिसे हम भारतीय ही अनुभव कर सकते हैं. इस पोस्‍ट के लिए धन्‍यवाद चाचाजी ! .

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  25. बड़े सोच विचार कर निकाले हैं रिश्ते।

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  26. गज़ब है रिश्तों की …………………फिर भी काफ़ी रिश्ते छूट गये…………………कैसे संभालेंगे?…………………रिश्तों का मज़ा लीजिये और CHANGE RELATION DAY का भी।

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  27. बहुत-बहुत बधाई हो आपको ।

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  28. क्या बात हैं आधे से ज्यादा रिश्तेदार तो बच के निकल लिए, टिप्पणी ही नहीं करी........ये भी कोई बात हैं........

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  29. arrrrrrr, meri shadi nai hui hai so saddhu bhai kaise bana liye...

    ;)

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  30. हाहा पाय लागू जेठ जी...

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  31. Nice...majaa aa gayaa padakar ...chalo Mein aapaka Dost ban jaata hu :)

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  32. @ संजीत त्रिपाठी भाई..सॉरी सॉरी.. ग़लती से भाई के साथ साढ़ू लग गया । वैसे कोई बात नहीं अपनी किसी साली से आपकी बात चलाता हूँ फिर अगले साल तक तो यह पक्का हो जायेगा ।

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  33. यह नटखटिया अंदाज़ भा गया,इसमें जो पड़ोसदारी है, रिश्तेदारी है, उसकी इज्ज़त करता हूँ । जब रिश्ते-नाते छोटे और गायब हो रहे हैं तो इस तरह किसी को पुकारते सुनना सुकून भरा लगता है ।

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  34. हमारे यहाँ पुलिस वालो को मामा कहते है और आपके नए मामा तो ब्लोग्दुनिया के भी मामा है... हाहा

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  35. kab karwa rahe ho bhaiya apni kisi sali sahiba se baat, aapke chachere bhai anil pusadkar ke gut me shamil ho ke to aisa lagta hai ki aajeevan kuwara rahna pad jayega....

    ;)

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  36. वाह जी वाह हम्हें तो याद ही नहीं किया.....चलिए कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो अनजान होते हैं उन्हें नाम नहीं दिया जाता..पर काफी करीब होते हैं ..ऐसे ही रिश्तों मे हमने अपने को आप के साथ शुमार कर लिया है हीहीहीहहहहीहीहीही

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  37. वाह,वाह! रिश्ते ही रिश्ते एक बार पढ़ तो लें। :)

    और सब ठीक है भैये लेकिन ये अनिल पुसदकर के साथ पहला वाला मामला ही जमाइये। उनको साढू भाई बनाइये। इस उपाधि के लिये जरूरी कार्यवाही करवाइये। यही बात संजीत त्रिपाठी पर भी लागू है। :)

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  38. पढ लिया.. अच्छा है। जवाब नहीं।
    बाकी क्या है भाई आजकल टिप्पणी करना सीख गया हूं। जल्द ही भारी भरकम विचार लेकर पहुंच रहा हूं।

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  39. नए रिश्ते को स्वीकार करते हुए
    आपका चचेरा भाई, मैं,
    अभी कुछ देर पहले ही आपके चाचा जी
    श्री रूपचंद्र शास्त्री मयंक जी के साथ
    आपके जीजा जी डॉ.सिद्धेश्वर जी से मिलकर आ रहा हूँ!
    --
    बहुत दिनों के बाद गद्य में
    इतनी रोचक पोस्ट पढ़ने को मिली!
    --
    भाई की लेखनी को नमन!

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  40. रावेन्द्र कुमार रवि के कमेंट को
    मेरा भी साझा कमेंट ही मानें!
    क्योंकि यह कमेंट उन्होंने मेरी मौजूदगी में
    मेरे ही कम्प्यूटर से किया है!

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  41. बेहद रोचक आलेख ये रिश्तो की नई मिसाल , अपना नाम यहाँ देख कर दिल से ख़ुशी हुई......
    regards

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  42. भई वाह क्या कहने। बहुत शानदार रचना। क्या कहा जाए। किसी को नहीं छोड़ा अपने। सभी ब्लॉगर्स कुछ न कुछ हुए आपके। बहुत ही शानदार रचना। आपको बधाई।

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  43. तो देवर जी, कोई गलती न करना अब वरना भाभी मां भी होती है :) खूब कान उमेंठूंगी...वाह क्या सीन है!!! रिश्ते इसी तरह बनाते और निभाते चलें हम...दुआ कीजिये.

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  44. यही हम भारतीयों कि पहचान है की हम जहा भी जाते है उस जगह को परिवार और लोगों से ऐसे ही अपनेपन का रिश्ता बना लेते है | वैसे अभी बहुत से रिश्ते बाकि है और ब्लोगर भी शायद अगली कड़ी में उन्हें भी जोड़ लिया जायेगा | बढ़िया पोस्ट |

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  45. वाह ! यहाँ तो रिश्ते ही रिश्ते है !! मजेदार पोस्ट :)

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  46. और मैं ? जिससे आप फिलहाल परिचित नही पर आपको खूब जानती हूं मैं.
    मुझे क्या बनाते?
    और प्लीज़ रिश्ता बताने से पहले रामसे ब्रदर को याद मत करना वरना आप मुझे पहचान जएंगेऔर गडबड हो जायेगी.
    हा हा हा

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  47. आपकी ये "रिश्ता डॉट कोम" कमाल की और एकदम हट कर पोस्ट लगी. बधाई...

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