24 मार्च 2010
गुरुद्वारे में भगतसिंह के विचारों का लंगर
प्रस्तुतकर्ता :
शरद कोकास
23 मार्च की सुबह कथाकार गुलवीर सिंह भाटिया का फोन आया ,शरद भाई आज शहीद भगत सिंह का शहादत दिवस है , दुर्ग-भिलाई के सभी कवि-साहित्यकारों और ब्लॉगर्स को फोन कर दो ,शाम 8 बजे गुरुद्वारे में एक विचार गोष्ठी रखी है जिसमें प्रसिद्ध गान्धीवादी चिंतक कनक तिवारी , जनसंस्कृति मंच के संयोजक सियाराम शर्मा , सीटू के कॉमरेड गजेन्द्र झा ,समीक्षक अशोक सिंघई अपने विचार रखेंगे तथा मुख्य अतिथि होंगे दुर्ग के महापौर शिवकुमार तमेर । इसके बाद उन्होने कहा .." और यह भी बता देना कि विचार गोष्ठी के बाद लंगर की भी व्यवस्था है । उनके कहे अनुसार मैने साथियों को मेसेज तो भेज दिया लेकिन कुछ ब्लॉगर साथी रह ही गये ।
गुरुद्वारे के गेट पर भई ब्लॉगर की मीट
शाम को गुरुद्वारे के गेट पर ही संजीव तिवारी से मुलाकात हो गई । उन्हे देखते ही मुझे ध्यान आया ..अरे पाबला जी को सूचना देनी तो रह ही गई । संजीव ने तुरंत फोन लगाया पता चला पाबला जी नाइट शिफ्ट की तैयारी में हैं , कहा " शरद भाई मेरी इच्छा तो बहुत थी लेकिन अभी आना तो बहुत मुश्किल होगा आप छह बजे भी बता देते तो शायद आ जाता । " मैने कहा " क्या पाबला जी शहीद भगत सिंह ने देश के लिये अपनी जान दे दी .आप एक दिन की नौकरी नहीं छोड़ सकते ?" पाबला जी ने अपनी नौकरी की तकनीकी विवशता समझाई । मैने कहा ठीक है ..यह लंगर हम दोनो ही जीम लेंगे ।सूर्य कांत गुप्ता व बालकृष्ण अय्यर को भी फोन लगाया ,अय्यर अपने नाटक के मंचन में व्यस्त थे ।
दीप जलाकर महापौर ने रखी शुरू की ईट
बहरहाल ,महापौर ने दीप प्रज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया । हरभजन सिंह लाल ने सभी का स्वागत किया ।सियाराम शर्मा ने भगतसिंह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं । उन्होने बताया कि जब भगत सिंह को फाँसी के तख़्ते तक ले जाने के लिये जल्लाद आये तब वे लेनिन को पढ़ रहे थे , उन्होने कहा " रूक जाओ भाई बस थोड़े ही पन्ने शेष हैं इन्हे खत्म कर लूँ ।" इस तरह वे लड़ाकू के साथ पढ़ाकू भी थे । गान्धीवादी चिंतक कनक तिवारी ने गान्धी और भगत सिंह को लेकर व्याप्त बहुत सारी भ्रांतियों का निराकरण किया । उन्होने बताया कि गान्धी और भगत सिंह दोनो की मंज़िल एक ही थी और भगत सिंह भी अहिंसा में विश्वास रखते थे । उन्होने कहा कि लोग नौजवानों से कहते हैं भगत सिंह के बताये मार्ग पर चलो लेकिन क्या हम जैसे बूढ़ों का कर्तव्य भी नहीं है कि हम भगतसिंह के विचारों का अनुसरण करें । कॉमरेड गजेन्द्र झा ने अपनी ओजस्वी आवाज़ में कहा कि यह तय है कि अगर भगतसिंह नहीं होते तो देश को आज़ादी नहीं मिल सकती थी । कवि-समीक्षक अशोक सिंघई ने भगतसिंह के समय की राजनीतिक परिस्थितियों का विश्लेषण करते हुए भगतसिंह की विचारधारा पर प्रकाश डाला । महापौर शिवकुमार तमेर ने उपस्थित बुद्धिजीवियों का स्वागत करते हुए अपने बचपन पर शहीद भगतसिंह के विचारों के प्रभाव को रेखांकित किया । उन्होने यह भी घोषणा की कि शहर की सभी शालाओं में भगतसिंह का सम्पूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया जायेगा ।
विचारों के इस लंगर के बाद उपस्थित कवि साहित्यकारों ,ब्लॉगरो और नागरिकों के साथ मैने और संजीव ने दाल-चाँवल रोटी सब्ज़ी के लंगर का भी आनन्द लिया । वैसे आप सभी की जानकारी के लिये यह बता दूँ कि हर साल हम लोग 23 मार्च को दुर्ग में इस अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन करते है , इस बार कुछ परिवर्तन कर यह विचार गोष्ठी आयोजित की गई , हाँ इसमे भी मुख्य कार्यक्रम आरम्भ होने से पहले कवि मुकुन्द कौशल ,संतोष यादव और डॉ.निर्वाण तिवारी ने शहीद भगतसिंह पर अपनी रचनाओं का पाठ किया ।संचालन कवि रवि श्रीवास्तव ने किया । इस रपट के साथ इस आयोजन के कुछ चित्र भी हैं संजीव तिवारी के कैमरे से , इन्हे भी देखें ।
----- दुर्ग स्टेशन रोड गुरुद्वारे से - आपका शरद कोकास
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अच्छा लगा जानकर और रिपोर्ट पढ़कर. आपका आभार!
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पढ़कर कि गुरूद्वारे ने हमारी स्वतंत्रता के कर्णवीरों को यूं याद किया.
जवाब देंहटाएंमाहौल बहुत अच्छा लग रहा है.....
जवाब देंहटाएं............................
विलुप्त होती... .....नानी-दादी की पहेलियाँ.........परिणाम..... ( लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html
रामनवमी की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंअब भिलाई आना ही होगा .. इतने लोगों से मिलने का अवसर ..
जवाब देंहटाएंभिलाई इस्पात संयंत्र छोड़ के कलकत्ता आने के समय नहीं सोचा था कभी कि इतना miss करूंगा भिलाई को ...
Jankar accha lag raha hai....chitra jankari ko paripurna kar rahe hai...bahut bhadiya laga aajadi ke parvano ko is tarah yaad kiya gaya.
जवाब देंहटाएंDhanywaad.
बहुत सुंदर लगा जी, काश हम सब आज इस देश के वारे सोचे इकट्टॆ बेठ कर कही भी ओर कुछ ऎसा करे कि हमारी आने वाली पीढी आराम ओर शांति से रह सके... लेकिन मै हेरान हुं कि सभी जन गुरु दुवारे मै सोफ़ो पर बेठे है ओर जुते पहन कर बेठे है????
जवाब देंहटाएं@भाटिया जी ,मुख्य हाल जहाँ श्री गुरुग्रंथ साहब विराजित हैं उससे पीछे एक और हाल है जहाँ यह कार्यक्रम हुआ , वहाँ इसकी अनुमति है लेकिन मुख्य हाल व लंगर हाल में सर पर कपड़ा रखकर और नंगे पांव ही जाना होता है । लंगर हाल में मुझे और संजीव को आप देख ही रहे होंगे ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया आयोजन रहा,
जवाब देंहटाएंलेकिन शरद भाई आप हमको फ़ोन करना भुल गए:)
रामनवमी की शुभकामनाएं
हम भी शामिल हो गये गुरुद्वारे के लंगर और शहीद-दिवस के कार्यक्रम में. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं@ललित भाई , गलती के लिये माफी चाहता हूँ । अगले लंगर में पक्का रहा ।
जवाब देंहटाएंरामनवमी की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंregards
Sheedon ko yaad kiya....bahut khuub Shardad ji !!
जवाब देंहटाएंसचमुच भगत सिंह....हवा में हैं तेरे ख्यालों की बिजलियाँ।
जवाब देंहटाएंभगत सिंह शहादत के मौके पर आयोजित विचार गोष्ठी की शानदार चित्रमय रिपोर्ट पढ़ पुन: आपको उलाहना दे रहा हूँ समय पर सूचना न देने की
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
badhiya jaankari aur acchhe chitr...shukriya.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रमय रिपोर्ट
जवाब देंहटाएंAapko bahut bahut badhi.. Aaj esi tarah ki aayojan karne ki sakht jarut hai... bus aap isi tarah deshprem ko badhane kee disha mein agrasar hokar logon ko jagruk karte rahiyega, hum sabhi aapke saath hai...
जवाब देंहटाएंjahan tak mujhe yaad hai, 7th class mein kahin padha tha ya shayad teacher ne bataya tha, dhoondhne ki koshish ki par mila nahi... bhagat singh ka uttar shayad ye tha, "thahar jaiye jailer sahab. ek krantikari dusre krantikari se mil raha hai..." agar main kuch bhul raha hun to kripya sahi karenge...
जवाब देंहटाएंbtw achha aayojan.. jarurat hai aise ayojano ki aur unke vichaaron ko janane, aur aaj ke context mein samajhne ki...
हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से....
शाहदत दिवस पर नमन है.
जवाब देंहटाएंआपका यह लंगर तो बहुत ख़ास रहा. बढ़िया रिपोर्ट !