1 अप्रैल 2010

बाल (ब्लॉग ) ना बाँका कर सके जो जग बैरी होय

एक अप्रेल "मूर्ख दिवस " पर एक व्यंग्य रचना                               
                                             बाल (ब्लॉग ) ना बाँका कर सके

पिछले दिनों मेरे हाथ दो ब्लॉगर्स की टेलीफोन पर बातचीत का एक टेप हाथ लग गया । हुआ यह कि हमारे एक मित्र को फोन टेप  करने का नया नया शौक सूझा और पहला फोन आने के बाद उन्होने बिना टेप सुने अपना मोबाइल मुझे थमा दिया । मैने उनसे पूछा तो उन्होने बताया कि बहुत दिनो बाद एक ऐसे मित्र का फोन आया था जो कभी ब्लॉगिंग किया करते थे और पिछले कई महीनों से उनसे नहीं मिले थे । मैने उन दोनो का यह संवाद सुना तो हँस हँस कर लोट-पोट हो गया । उनका  पहला संवाद उनका  कुछ इस तरह था ।
पहला मित्र : कहो भई क्या हाल हैं ?
दूसरा मित्र : बढिया है ब्लॉगिंग मे लगे हुए हैं...तुम सुनाओ ।
पहला मित्र : अरे उस दिन मैं जल्दी जल्दी में था देखा कि तुम्हारे “ बाल “  बहुत कम हो गये हैं....।
            बस सारी गड़बड़ यहीं पर हुई । पहले मित्र ने “ बाल “ कहा और अगले ने “ ब्लाग “ सुन लिया । अब आगे का संवाद कुछ इस तरह है कि पहले मित्र “ बाल “ के बारे में बात कर रहे हैं और दूसरे मित्र “ ब्लाग “ के बारे में बता रहे हैं । इस संवाद से किस तरह का हास्य  उपजा  यह आप खुद ही पढ़ लीजिये । शुरू करते हैं  पहले मित्र की बात से । ध्यान रखिये मित्र 1 ‘ बाल  ‘ के बारे मे कह रहे हैं और मित्र 2 ‘  ब्लाग  ‘ के बारे में
1- अरे उस दिन मैं जल्दी में था देखा तुम्हारे  “ बाल “ बहुत कम हो गये हैं ...
2- क्या बतायें यार ! आजकल टाइम ही नहीं मिलता न ठीक से देख पाता हूँ न रख-रखाव कर पाता हूँ । और मेरा क्या ब्लॉगिंग की दुनिया मे बहुत से लोगों का यही हाल है ।
1- अरे.. ? मतलब सबके कम हो गये हैं क्या ?
2- और क्या ? शुरू शुरू में तो सभी के ज़्यादा रहते हैं फिर आना कम हो जाता है तो धीरे धीरे कम होने लगते हैं ।मेरे साथ क्या सभी के साथ यह समस्या है ।
1- हम्मममम....यह तो है । देखता हूँ किसी दिन सबकी प्रोफाइल और सबकी तस्वीर ।
2- तस्वीर से क्या होगा  ,वह तो सभी ने पहले की लगा रखी है । लेकिन बाकी सब कम हो गया है ।
1-वो शरद कोकास के भी कम हो गये हैं क्या ..उनके तो बहुत थे ।जबरदस्ती हँसता हुआ फोटो लगा रखा है ।
2- हाँ शुरू शुरु में वह बहुत सक्रिय रहे .. वैसे अभी भी है लेकिन बहुत बहुत दिनों बाद दिखाई देते है ।
1- हाँ निष्क्रियता का असर तो पड़ता है ..और द्विवेदी जी के तो मेरे ख्याल से पहले से ही इतने ही हैं ।
2- हाँ उनके तो इतने ही हैं लेकिन वे लगे रहते हैं वे सक्रिय हैं । वैसे ही डॉ. दराल भी हैं और शास्त्री जी । इनकेकुछ न कुछ  तो लगभग रोज़ ही आते हैं ।
1- हाँ सक्रिय रहने से भी असर  पड़ता है । घनापन दिखाई देता है । वैसे भी ये लोग  बुद्धिजीवी हैं इनके कम होने स्वाभाविक हैं  ..कम रहने से भी क्या फर्क पड़ता है ,बुद्धि का असर तो थोड़े से में ही दिखाई दे जाता है । वैसे भी बुद्धि से इसका क्या सम्बन्ध ।
2- और क्या ...बुद्धि का इससे क्या सम्बन्ध अब पाबला जी को ही देख लो ..
1- हाहाहा... पाबला जी के तो सब  के सब पगड़ी के नीचे छुपे हुए रहते हैं और डॉ. अमरजीत के भी ।
2- हाँ वही तो , पगड़ी के अन्दर जो दिमाग़ है उससे वे  ऐसी ऐसी बेहतरीन चीज़ें निकालकर लाते  हैं कि पूछो मत । प्रिंट मीडिया  पर चर्चा में तो आते ही रहते हैं लेकिन  “ बुखार “ में आना ज़रा कम हुआ है अभी ।
1- अरे...! हाँ बुखार से असर तो पड़ता है कमी आ जाती है ।लेकिन इसकी प्रिंट मीडिया में भी चर्चा होती है यह तो बहुत अच्छी बात है ।
2- लेकिन “ मेले “ में उनका आना कम नहीं हुआ है । वहाँ हमेशा सब  कुछ नया होता है ।
1- फिर भी ... मेले  में तो धूल ही धूल होती है । वहाँ कम जाना चाहिये । इतने समझदार तो हैं वे । खैर ... इससे क्या तुमने तो बताया ही है कि सब कुछ पगड़ी से ढँका रहता है .. इसीलिये इतना तेज़ दिमाग़ पाया है उन्होने । अब असलियत जानना है तो कभी घर जाकर देखना पड़ेगा ।
और हाँ ..एक बात मैने देखी कि जितनी ब्लागर महिलायें हैं सभी के सुन्दर हैं ,सजे सँवरे हुए ।
2- वाह ! कैसी बात करते हो । महिलाओं को तो यह प्रकृति की देन है वे अपना घर भी कितना सुन्दर और सजाकर रखती हैं फिर यहाँ तो सजाना ही है । एकदम साफ –सुथरा और सुन्दर दिखाई देता है उनके यहाँ ।
1- और विदेश मे रहने वाली  ब्लागर बहने भी देखो ..अदा जी , अल्पना जी ,  बबली जी को ही देखो ..उनके चित्र से ही दिखाई देता है कि कितने सुन्दर हैं ।
2- बबली जी के ना.. पूरे के पूरे ? “ अमेजिंग “.. और उनका ..वो तो  “मसाला “ पर रेसिपी भी बताती हैं ।
1- अच्छा... इसकी भी रेसिपी होती है क्या ? इसीलिये उनका सौन्दर्यबोध भी इतना अच्छा है । लेकिन अपने राव साहब ,और मिश्राजी और शुक्ला जी और भी बहुत से लोग इनके भी अब पके हुए दिखाई देते हैं ।
2- वाह कैसी बात करते हो । यह सब परिपक्व लोग हैं , पके हुए तो होंगे ही और वैसे ही दिखाई भी देंगे ।
1- लेकिन उस महफूज़ को देखो कितने हसीन अन्दाज़ में सब सामने किये रहता है ।
2- अरे उसकी उम्र है भाई अभी दिखाने की । अभी सब सामने सामने दिखता है । और वही क्या अजय ,मिथिलेश ,जाकिर , अशोक ,दीपक सब सामने  सामने दिखते हैं , दिखना भी चाहिये । अभी तो उम्र है इन लोगों की अभी तो दिखेंगे ही .. कुछ साल बाद सबके बराबर हो जायेंगे ।
1- अजित वडनेरकर जी के भी अच्छे हैं ।
2- अरे हाँ खूबसूरत ,और पता अभी वे किताब भी छपवाने वाले हैं , पिछले दिनो दिल्ली गये थे , वहीं से ।
1- वा वा यह अच्छी खबर सुनाई , यह किताब तो बहुत लोगों के काम आयेगी ,कितना महान काम कर रहे हैं वे      राजीव गान्धी के समय यह किताब आती तो उनको भी फायदा हो जाता ।
2- हाँ तकनीक पर भी किताब होनी चाहिये , रवि रतलामी जी शायद इस दिशा में कुछ काम करें ।
1- रवि जी..? उनके तो खुद ही इतने कम हैं । वो क्या तकनीक बतायेंगे ।
2- नहीं भई इतने भी कम नहीं हैं ,  पुराने हैं लेकिन लगातार आ ही रहे हैं । जानकार तो हैं वे ..बल्कि वे तो औरों का भी खयाल रखते हैं । और अपने अलबेला भाई के भी बहुत हैं ... बल्कि नये नये आते जा रहे हैं ।
1- तभी.... वे तो टीवी पर भी दिखाई देते है किसी दिन उनको एडवर्टाइज़िंग कम्पनी वाले पकड़ते ही हैं । लेकिन मुझे तो केसवानी जी सबसे स्मार्ट दिखाई देते हैं । कम उपस्थिति के बावज़ूद उनको देख सब भ्रम टूट जाते हैं । इतने कम होने के बावज़ूद वे अलग से प्रभाव डालते हैं , यही उदयप्रकाश जी के बारे में भी कह सकते हैं ।
2- अच्छा वो बाजेवाली गली वाले केसवानी जी  । और उदयप्रकाश जी भाई वो तो वैसे भी बहुत अनुभवी लेखक हैं ।उनके हों न हों क्या फर्क पड़ता है ।
1-लेकिन ललित शर्मा की मूछों का अलग प्रभाव पड़ता है ।
2- नहीं उससे क्या .. न भी हो तो क्या लेखन में दम होना चाहिये । जो उनमे पर्याप्त है ।
1- अभी खुशदीप, राजीव , विवेक इनपर तो कुछ साल तक कोई खतरा नहीं दिखाई देता मुझे ।
2 क्या बात कर रहे हैं ये तो अभी जोश से भरे युवा हैं । अभी तो आना-जाना लगा रहेगा ..कुछ साल बाद किसने देखा है अच्छे अच्छे लोगों के कम हो जाते हैं ।
1 फिर धीरे-धीरे स्थायित्व आ जाता है .. चलो अच्छा है सभी के सलामत रहें , प्रदूषण से दूषित वातावरण से बचे रहें...सब के सब खूबसूरत दिखते रहें ।
2 लेकिन सब कुछ अच्छा नहीं है भाई ..अब वातावरण थोड़ा खराब हो चला है । कुछ लोग जानबूझकर प्रदूषण फैला रहे हैं । कहीं धर्म के नाम पर कहीं वर्चस्व के नाम पर कहीं गुटबाज़ी के नाम पर ...
1 अरे कहीं सर मुंडाने या पगड़ी धारण करने का चक्कर तो नहीं है मतलब मठाधीशी का ?
2 नहीं ऐसा नहीं है ,,खैर सब ठीक हो जायेगा यहाँ सब समझदार लोग हैं । 
1 लेकिन पता नहीं भाई ऐसा लगता है कि कुछ लोग दिखाने के लिये जबरदस्ती विग लगा रहे हैं ...
2 विग नहीं भाई विजेट कहते हैं । हाँ लगाये हैं ना कुछ लोगों ने और अब तो गूगल ने भी यह सुविधा दे रखी है
1 क्या बात कर रहे हो ...गूगल यह काम भी कर रहा है अपने ब्लागर्स के लिये ? यह तो बहुत अच्छी बात है ।
2 हाँ सभी को सजने सँवरने का मौका दिया जा रहा है । कुछ लोग तो इसका अच्छा उपयोग कर रहे हैं अब अपने संजीव भाई को ही देख लो  कितने अच्छे तरीके से लगा रखें हैं साइड में और ऊपर नीचे सब तरफ  ... 
             इसके बाद मुझे इतनी हँसी आई कि  हँसते हँसते गलती से डिलीट का बटन दब गया और. और क्या अब  गिरीश जी अगर इसे पोडकास्ट के लिये मांगेंगे तो नही दे सकूंगा । इसलिये बस यहीं विराम ..इस दुआ के साथ कि ब्लॉग जगत में और ब्लॉग जगत से बाहर भी कोई आपका बाल (ब्लॉग ) ना बाँका कर सके । - आपका शरद कोकास             
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14 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो शरद जी की पहली अप्रेल को सुबह सुबह मजा दिया।

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  2. भगवान से प्रार्थना है कि आपका कोई बाल भी बांका ना करे।

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  3. इस दुआ के साथ कि ब्लॉग जगत में और ब्लॉग जगत से बाहर भी कोई आपका बाल (ब्लॉग ) ना बाँका कर सके । - यही दुआ हम भी करते है !

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  4. बहुत बढ़िया चर्चा...बाल(ब्लॉग) ना बांका कर सके पर....आपका ब्लॉग आबाद रहे...

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  5. नये आंदाज मै आप ने कमाल कर दिया जी, बहुत सुंदर चर्चा
    धन्यवाद

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  6. आज मूर्ख दिवस मनाने में इतना व्यस्त रहा कि कहीं किसी ब्लॉग पर जाना हुआ नहीं यद्यपि दिवस विशेष का ख्याल रख यहाँ चला आया हूँ और आकर अच्छा लगा. धन्यवाद!!

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  7. बाल या ब्लॉग। चर्चा अच्छी लगी।

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  8. बाल और ब्लॉग की बातचीत ऐसा लगा जैसे दो बहरे बातें कर रहे हों मजेदार हंसीदार लज्जतदार बात बात में लिज्जत लिज्जत .......|

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  9. हा हा हा हा ....
    वैसे आपके भी कम ज़बरदस्त नहीं हैं....:
    धन्यवाद...

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  10. मत दीजिये अपन अपनी आवाज़ में रिकार्ड कर लेगा ओ के जीजू...........

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