सपने में ब्लॉगर मीट
रात बारह बजे बजे कम्प्यूटर बन्द करके सो गया था । कि अचानक तीन बजे श्रीमती लता कोकास ने शोर मचाया .. उठो उठो ..मच्छरदानी में मच्छर घुस आये हैं । मै उस वक़्त एक सपना देख रहा था । मुझे बहुत नागवार गुज़रा कि इस बदले हुए मौसम में मच्छरों को भी अभी ही आना था । मच्छरों के साथ-साथ मेरे सपने की भी हत्या हो गई दोबारा नीन्द लेने और पुन: उस सपने को देखने का प्रयास किया लेकिन ऐसा कभी होता है । इसलिये उठ बैठा हूँ और यह सपना लिख रहा हूँ । वैसे भी सुबह जागने के बाद कहाँ याद रहेगा ? लेकिन यह सपना है इतना मज़ेदार कि आप सबको बताने का मन है और सबसे मज़ेदार बात तो यह कि इसके सारे सन्दर्भ भी याद हैं जो मेरे अवचेतन में थे । इस वर्णन से आप यह भी समझ जायेंगे कि सपने और अवचेतन का क्या सम्बन्ध होता है और मैं आप सब लोगों को कितना याद करता हूँ । लीजिये सुनिये ..मेरा मतलब है पढिये ।
दृश्य एक : मेरा घर । यह घर मेरा है लेकिन मकान पाबला जी का है । पाबला जी का मकान भिलाई की जिस बस्ती में है वहाँ लगभग सभी के पीछे के दरवाज़े एक गली में खुलते हैं इसलिये पीछे के दरवाज़ों से भी आना जाना होता रहता है । मैं अपने घर में डेस्कटॉप पर ब्लॉगिंग में लगा हूँ और नीरज जाट से चैट कर रहा हूँ ।अचानक मैने देखा कि चैट पर हाथ से लिखे सन्देश आ रहे हैं । मैं चौंक गया ,और मैने नीरज से वॉइस चैट के माध्यम से पूछा कि यह कैसे हो रहा है ? उन्होने कहा “ घर आइये अभी बताता हूँ यह गूगल बज़ की नई सुविधा है ।“ ( मैने रात सोने से पहले ‘ बज़ ‘ पर रजनीश के झा और अंकुर गुप्ता गीक का ब्लॉग पढ़ा था ) मैं पीछे का दरवाज़ा खोलकर नीरज के घर पहुंचता हूँ , लेकिन यह नीरज का नहीं खुशदीप सहगल का घर है और वहाँ अंकुर गुप्ता फर्स्ट जनरेशन के एक विशालकाय कम्प्यूटर पर काम कर रहे हैं । तय होता है कि सभी पड़ोसी ब्लॉगरों को बुला लिया जाये इसी बहाने ब्लॉगर मीट भी हो जायेगी । ( मैने सोने से पहले “ बिगुल “ ब्लॉग के ब्लॉगर राजकुमार सोनी को एक पत्र लिखा था कि एक ब्लॉगर मीट का आयोजन करो । ) खैर सभी पड़ोसियों को फोन करने का ज़िम्मा मिथिलेश दुबे को दिया जाता है । ( मैने रात में मिथिलेश को ब्लॉगजगत में वापस आने पर शाबासी दी थी ..सो ये मेरे पड़ोस में वापस आ गये हैं ।)
दृश्य दो : सबसे पहले अपनी पड़ोसन ज्योति सिंह के साथ वन्दना अवस्थी दुबे का प्रवेश होता है । वन्दना जी राजस्थानी वेशभूषा अर्थात घाघरा चोली में हैं और विगत दिनों उनकी यात्रा की तस्वीर में जितनी दुबली दिखाई दे रही थीं उतनी नहीं दिखाई दे रही हैं ।वे अपने साथ कद्दू फूल के पकौड़े लेकर आई हैं जिसे बबली की खाना मसाला से रेसिपी पढ़कर उन्होने बनाया है। इतने में पड़ोस से गार्गी गुप्ता का प्रवेश होता है ,उनका चेहरा लवली कुमारी से मिलता जुलता है , वे जींस पहने हैं और उन्होने रश्मि रविजा के वे हाई हील के सैंडल पहने हैं जिसे पहन कर वे मुम्बई की लोकल ट्रेन में सफर करती हैं ।( यहाँ फिर आपको बतादूँ कि यह सब लोग अपने घरों के पीछे के दरवाज़े से निकल कर आ रहे हैं । )
दृश्य तीन : मैने सोचा जितनी देर में सब ब्लॉगर्स आ जायें मैं घर का मुआयना कर लूँ ।नीरज के या कहें खुशदीप के घर के ड्राइंगरूम में दिनेश राय द्विवेदी जी की एक विशालकाय तस्वीर लगी है जिसमें वे जयपुर के महाराजा की वेशभूषा में हैं । पूछने पर पता चला कि द्विवेदी जी जब पिछली बार भिलाई आये थे तब यह तस्वीर उन्होने पाबला जी को भेंट की थी ।( सोने से पहले ‘ अनवरत’ पर कोटा के एक हादसे की खबर पढ़ी थी ) । घर के पिछ्वाड़े एक नल बह रहा है ,मैने ध्यान दिलाया तो अलबेला खत्री ,जो कि बनियान पहने हुए ही दौड़े चले आये हैं ,आये और ट्रक का टायर खोलने का एक बड़ा सा पाना लेकर उसे बन्द कर दिया । घर के पीछे अतिक्रमण कर रसोईघर बनाया गया है ,और नहाने की व्यवस्था ड्राइंगरूम में है ।रसोईघर में सूर्यकांत गुप्ता पुराने स्टोव पर चाय बना रहे हैं और ललित शर्मा डंड पेल रहे हैं और कह रहे हैं ..मै अभी छुट्टी पर हूँ ।
दृश्य चार : इतने में राज भाटिया जी भी एक बड़ा सा सूटकेस लेकर पहुँच गये हैं बताया कि “ हिन्दुस्तान से सीधा चला आ रहा हूँ । “ संजीव तिवारी माला पहने हुए किसी सम्मान समारोह से लौटे हैं । समीर लाल जी आँखें मलते हुए चले आये और कहा ..” नींद ही नहीं आ रही है क्या करूँ “ तो अनिल पुसदकर ने कहा “ दिन में सोयेंगे तो नीन्द कैसे आयेगी ?” समीर भाई ने जवाब दिया “ तुम्हारे इधर दिन होगा हमारे इधर तो रात है ।“ ( यह वाक्य मैने फोन पर राजकुमार से कहा था ।) अशोक कुमार पाण्डेय भी किताबों का एक गठ्ठा लेकर पहुंच गये है और बता रहे हैं कि यह अभी अभी पब्लिश हुई हैं ।
दृश्य पाँच : सभी लोगों के पहुँचने के बाद अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा “ ये आकाशवाणी है अब हम आज का कार्यक्रम प्रारम्भ करते हैं ।अंकुर की जगह रवि रतलामी जी खड़े हैं उन्होने कहा “ अब शुरू किया जाये ,मै बताता हूँ अपनी राइटिंग में चैट कैसे होती है । उसने एक बड़ा सा आइना लिया और उस पर एक कागज़ रखा । फिर मार्किंग पेन से उसपर लिखा “ बज एक धोखा है “ फिर उस कागज़ को उस बड़ी सी मशीन पर रखा । अब वह कम्प्यूटर एक प्रिंटिंग मशीन में बदल गया है । इतने में निर्मला कपिला जी ने चार हेलोजन जलाये और रेडियो पर एफ.एम.लगाया उसमें वाणी जी की आवाज़ में माय नेम इस खान का गाना बज रहा है ... दिल तो बच्चा है जी ( सपने में ऐसा होता है भाई ) इतने में खिड़की से आवाज़ आती है । बाहर लाउडस्पीकर पर कोई चिल्ला रहा है ..गोरखपुर के मेयर पद के लिये महफूज़ अली को वोट दो ।यह सुनकर डॉ.अनुराग ने कान में स्टेथोस्कोप लगा लिया है और गिरिजेश राव ने दौड़कर खिड़की बन्द कर दी है ।
दृश्य छह : हम लोग कम्प्यूटर स्क्रीन पर अपनी आँखें गड़ाये हुए है लेकिन वहाँ कुछ दिखाई नहीं दे रहा है । अंकुर परेशान है ..” अभी कुछ देर पहले तो हो रहा था ।“ इतने में पाबला जी बगल में स्कैनर दबाये आ गये ( वे मेरे घर से आ रहे थे जो वास्तव में उनका है ) बोले शरद जी बहुत दिनो बाद आपके घर आ पाया हूँ ( सब लोग मेरी तरफ देख रहे हैं ..तो यह घर आखिर किसका है ?) खैर ..पाबला जी ने कहा और घुघूती जी के हाथों से वह कागज़ लेकर स्कैनर पर रखा और कहा देखिये अब स्क्रीन पर दिखता है या नहीं । सभीने देखा ..स्क्रीन पर लिखा आ रहा था ..” हम सब एक हैं ,पूरी दुनिया हमारा घर है ।“
इतने में शेफाली पाण्डे की आवाज़ आती है ..”उठो उठो मौसाजी घुस आये हैं “( शेफाली के मौसाजी मेरे मित्र हैं ) बस .. सपना यहीं टूट गया । लिखते लिखते कुछ कुछ भूल भी गया हूँ जो बाद में याद आयेगा या आगे फिर कभी देखूंगा तो लिखूंगा ।
डिस्क्लेमर : यह सचमुच सपना है भाई ,विश्वास न हो तो पोस्ट पब्लिश करने का समय देख लें या माय आटोबायग्राफी से पूछ लें घंटा भर पहले चैट पर उन्हे बताया था कि सपना लिख रहा हूँ – शरद कोकास
आईये पड़ोस को अपना विश्व बनायें
अब जाकर सही ब्लॉगर हुए, जब सपने में भी ब्लॉगर मीट दिखने लगे.
जवाब देंहटाएंबाकी सारा समझ आ गया और कनेक्शन भी. बस महफूज को वोट देने में खिड़की काहे बंद करवा दी गई..यह कौन से अवचेतन मन का कौन सा दृश्य कनेक्शन है. :)
अभी सोने की तैयारी कर रहे थे आपकी सुबह सुबह तो प्रश्न जाग उठा और कोई खास बात नहीं. हा हा!
इतने लोगों के साथ एक साथ .....आप तो कईयों कोई उनकी औकात बता गए .....
जवाब देंहटाएंसपने में भी ब्लागिंग - वाह क्या बात है? मजेदार स्वप्न-दर्शन।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
मैं जानता हूं शरद जी हिन्दी ब्लॉगर कभी झूठ नहीं बोलते क्योंकि उन्हें सच का सामना नहीं करना होता। पुराना याद करके नहीं, एक सपना नया देख लें बल्कि सपनों को हकीकत में बदलने के लिए हम हाजिर हैं न ? होली के बाद सचमुच के ब्लॉगर होली मंगल मिलन समारोह में शिरकत के लिए आप सब सादर आमंत्रित हैं। वे सब जो शरद कोकास जी के सपने में धूल उड़ा चुके हैं।
जवाब देंहटाएं... और मच्छरों के उन प्रतिनिधियों ने जो मच्छरदानी में घुसे थे, ने बतलाया है कि वे हिन्दी ब्लॉगिंग सीखने के लिए शरद कोकास जी के पास जा रहे थे, और मिसेज कोकास ने समझा होगा कि हम उनका खून पीने जा रहे हैं जबकि हिन्दी ब्लॉगर का खून अब हमें हजम नहीं होता है। काले खून की सीधी उल्टी होती है।
क्या कहें ... धन्य भये ...किसी के सपनो में तो आये ....पिछले दरवाजे से सही ...( हा हा हा )...वो भी गाना गाते (बेटियां तो ऐसी अघाई हैं हमारे गाने से कि लोरी भी सुनना पसंद नहीं करती )... मगर पहले कन्फर्म कर लू कि वाणी ब्लॉगजगत में एक ही है ना ...यदि वाणी मैं ही हूँ तो गाना सही सलेक्ट किया ....आपको नहीं लगता इस व्यवहारिक झूठ छल प्रपंच की दुनिया में अपने आपको बच्चा बनाये रखना दुष्कर कार्य है ....इसके लिए हमारा किसी के सपनो में आना वाजिब है ....अब बताये इतनी गंभीर बात को ऐसे मजाक में लेने का काम तो कोई बच्चा ही कर सकता है ना ...
जवाब देंहटाएंजाकर अदा से बात करू ...बहुत दिनों से गुडिया कह कर नहीं बुलाया उसने ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर स्वप्न भैया सभीने देखा ..स्क्रीन पर लिखा आ रहा था ..” हम सब एक हैं .
जवाब देंहटाएंसपने का बड़ा रोचक वर्णन।
जवाब देंहटाएंसब से बढ़िया ब्लागर मीट सपने में हो सकती है, कभी सोचा न था।
जवाब देंहटाएंसपना तो अपना सा लगा :-)
जवाब देंहटाएंहा हा हा आपको बस एक दिन सपना आया अरे3 हमे तो रोज़ ही ऐसे सपने आते हैं जिस दिन न आये उस दिन हम जरूर सोचने लगते हैं कि कहीं कुछ गड बड है। मगर आपकी ब्लागर मीट बडिया लगी हमे तो डरावने सपने आते हैं कोइ इधर से घुडक रहा है कि इतनी टिप्पणी क्यों पाते हो कोई उधर से । जिसे देखो अधिक टिप्पणी पाने वाले पर वार कर रहा है इस लिये मुझे तो इन सपनो से डर लगने लगा है। आज बार बार आपका सपना प-ाढती हूँ शायद मैं भी इस मसले पर एक ब्लागर मीट बुलाऊँ आप सब को निमन्त्रण है मेरे सपने मे आने के लिये। हा हा हा धन्यवाद। महाशिवरात्रि की बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसपना बिच ब्लॉगिंग हैं ब्लॉगिंग बिच सपना है ....
जवाब देंहटाएंशरद भईया आपका भी जवाब नहीं , आपने तो सबको लपेटे में ले लिया ,किसी को तो छोड़ दिया होता ।
जवाब देंहटाएंकोकाश जी, मैं नहीं दिखा था क्या ? ब्लॉगर मीट के ठीक सामने वाली दुकान पर " जिस दूकान के साइन बोर्ड पर लिखी था " यहाँ हलाल का मीट मिलता है" :)
जवाब देंहटाएंबहुत मजेदार सपना था...
जवाब देंहटाएंक्या बात है...यह सपना था या कोई चलचित्र....इतना कुछ देख लिया...बहुत ही रोचक सपना था...और मैंने बस एक बार ही वो 'पेन्सिल हील' की सैंडल पहन कर लोकल में सफर किया था...पर देखिये ,अच्छा हुआ ना...इसी बहाने वह सैंडल आपके सपने में भी आ गयी...अब जरा उसे अच्छे तरह साफ़ करके रख दूँ...फिर कहीं किसी के सपने में जाना हो तो??
जवाब देंहटाएंहा हा हा ....अच्छा सपना था.
जवाब देंहटाएंदेख कर खुशी हुई कि आपको पूर्ण ब्लॉगरत्व की प्राप्ति हो चुकी है।
जवाब देंहटाएंआखिर इतने दिन की साधना का प्रतिफल तो मिलना ही था ना
;)
वैसे एक आदर्श ब्लॉगर की परिभाषा में चरितार्थ होने के लिए कुछ और भी करना बाकी है आपके लिए
जैसे कि ऐसा लिखें जिस पर बहस हो, वाद-विवाद और न जाने क्या क्या हो
;)
खैर,
समय हो तो
इसे पढ़ें
मुन्ना भाई मीट्स हिंदी ब्लागर्स-1
http://sanjeettripathi.blogspot.com/2007/06/blog-post_04.html
और इसे भी
मुन्ना भाई मीट्स हिंदी ब्लागर्स-2
http://sanjeettripathi.blogspot.com/2007/06/2.html
वाह१ क्या सपना है. ईश्वर करे, ऐसे सपने आपको रोज़-रोज़ आयें. सच में न सही सपने में ही सबकी मुलाकात हो जाये. वैसे बबली जी की वो रेसिपी को आजमाना चाह रही थी, ये सच है. शानदार सपना.
जवाब देंहटाएंफंतासी लिखने के लिए एक अलग भावभूमि की आवश्यकता होती है। आस पास की घटनाओं और जाने पहचाने पात्रों को लेकर लिखना हो तो चुनौती गहन हो जाती है। ...
जवाब देंहटाएंआप ने चमत्कृत कर दिया। सुबह टिप्पणी का लिंक नहीं चल रहा था, इसलिए टिपिया नहीं पाया।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइसे 13.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
itni baar sapna sapna kah diya sabne ham pareshaan ho gaye ...hame sapna bhi to bulaate hain log...ha ha ha...bas naam ke hi Dream hai kabhi kabhi log nightmare bhi kahte hain hamko...ha ha ha
जवाब देंहटाएंchaliye shard ji badhiya sapna dekha apne...
शरद भाई,
जवाब देंहटाएंसपने का अंत मैं सुना देता हूं...अदा जी का नाम आपने नहीं लिया...उन्हें गुस्सा आया और काले जादू से सब ब्लॉगर्स को मच्छरों में तब्दील कर दिया...वही मच्छर भाभी जी को परेशान करने लगे कि शरद भाई ने ये हमारी जान को क्या पंगा करा दिया...
जय हिंद...
अरे शरद भाई अभी भी समय है, समभल जाओ, वरना यह ब्लांगिग ना घर का रहने देगी ना बाहर का, अब सपने मै भी ब्लांगर दिख रहे है, ओर सपना भी कमाल का, लेकिन मेरी अटेची बिलकुल सही नाप की आई, अब जरा इस बात की खोज की जाये की यह मच्छर किस ने भेजे थी, वरना पुरे सपने मै ओर मजा भी दुगना होता
जवाब देंहटाएंसपणे में रात ने आये,
जवाब देंहटाएंओ ओ ओ ओ
सपणे में रात ने आये,
सारे ब्लोगर रै.
हाय इस सपने में भी हम कुली हुए!!!
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने.. ऐसे चमत्कार सपने में ही होते हैं...
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