ज़िन्दा बेटी के पुतले का पिता द्वारा दाहसंस्कार
हम लोग पुरानी फिल्मों में ऐसे पिता के चरित्र देख चुके हैं जहाँ बेटी के प्रेम विवाह कर लेने पर पिता उससे कहता है " जा घर से निकल जा.. मै समझूंगा कि आज से तू मेरे लिये मर गई " लेकिन पिछले दिनो दुर्ग के अखबार हरिभूमि मे एक अजीब खबर छपी जिसे पढकर ऐसा लगा कि इस तरह के पिता अभी भी समाज में है . इस खबर के अनुसार " बेटी के प्रेम विवाह से क्षुब्ध होकर प्रधान आरक्षक पिता ने न सिर्फ पुत्री का पुतला बनाकर विधिवत दाह संस्कार किया बल्कि बाकायदा शोक पत्र छपवाकर मुंडन संस्कार भी करवाया.इस मामले मे हाँलाकि बाद में पति बने प्रेमी के साथ पकडाई युवती को अदालत मे पेश किये जाने के बाद उसके बालिग होने के चलते मर्ज़ी से कहीं भी रहने के आदेश हुए हैं . जिसके बाद से वह अपने पति के साथ ही रह रही है ." पिता का दर्द हम समझ सकते हैं लाड से पाली बेटी का विवाह वह अपनी पसन्द के युवक से करना चाहता है लेकिन बेटी ने अपने लिये वर स्वयं चुन लिया है .खबर के अनुसार "जैसे ही पिता को अपनी बेटी के प्रेम विवाह के बारे मे पता चला उस सम्वेदनशील प्रधान आरक्षक ने बेटी का पुतला बना कर उसकी अंतिम यात्रा के साथ शिवनाथ नदी तट मे उसका दाह संस्कार किया. इस घटना का दुखद पहलू यह है कि पुतले के साथ बेटी के सारे कपडों से लेकर अंक सूचियाँ एवं प्रमाणपत्रों का भी दहन कर दिया गया ."
बेटी के प्रेम विवाह से आहत पिता का यह कदम आश्चर्य जनक तो है ,हमारी उनसे सहानुभुति भी है लेकिन हम उम्मीद करते है कि जैसे फिल्मों में होता है कि वही बेटी, जिसका बहिष्कार किया गया अंत मे अपने पिता के काम आती है और दामाद बेटे से बढकर साथ देता है .इस दुखी पिता के साथ भी ऐसा ही हो और इस तरह हैप्पी एंडिंग के साथ दोनो का संसार सुखी हो यह शुभकामना .( "हरिभूमि "6 जुलाई 2009 के अंक से साभार)
आपका शुभ चिन्तन कि अंत भला हो यथार्थ बने । सब कुछ फ़िल्मी तो हो ही गया है, तो अंत भी वैसा हो ही जायेगा ।
जवाब देंहटाएंkoun kahega yah ikkisawin satabdi hai...?
जवाब देंहटाएंये तो पिता निकला दुश्मन ..मैंने ख़ुद प्रेमी कोही अपने प्रिय का दुश्मन बनते देखा है ..जैसे ही लडकी उसकी पत्नी बनी ..वो मानो उसकी मिलकियत बन गयी या पालतू जानवर ..कुत्ते की भाँती लगातार दम हिलाए तो ठीक ,वरना ...वरना जाए भाड़ में...और दयाके टुकडों पे पले...माँ बाप तो कुछ दिनों बाद मान ही जाते हैं..ससुराल में गर ऐसा व्यवहार मिले तो लडकी कहाँ जाय?
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